एक आम ज़िन्दगी की कड़ी हूँ मैं |
सिक्के इकट्ठे करने वालो के संग्रह में,
स्वार्थी सोच का एक दलदल हूँ मैं ||
उमीदों की खरोंच की निशानी हूँ मैं |
शून्य से लेकर नौ हू तक हूँ मैं |
रिक्त स्थानों की हैरानी हूँ मैं |
बैचैन जीते रहने में खोयी हुई फुर्सत हूँ मैं ||
अनजानी भीड़ में अनजानी जुडी हूँ मैं |
जी हाँ अनजान ही जुडी हूँ मैं |
सयाने परकटे तोते की उड़ान हूँ मैं |
शहर में बिकने लगा है अब मातम भी..
आंधी में अध्-जले दिए की लौ हूँ मैं ||
सिक्के इकट्ठे करने वालो के संग्रह में,
गरीब सोच का एक दलदल हूँ मैं ||
सिक्के इकट्ठे करने वालो के संग्रह में,
स्वार्थी सोच का एक दलदल हूँ मैं ||
उमीदों की खरोंच की निशानी हूँ मैं |
शून्य से लेकर नौ हू तक हूँ मैं |
रिक्त स्थानों की हैरानी हूँ मैं |
बैचैन जीते रहने में खोयी हुई फुर्सत हूँ मैं ||
अनजानी भीड़ में अनजानी जुडी हूँ मैं |
जी हाँ अनजान ही जुडी हूँ मैं |
सयाने परकटे तोते की उड़ान हूँ मैं |
शहर में बिकने लगा है अब मातम भी..
आंधी में अध्-जले दिए की लौ हूँ मैं ||
सिक्के इकट्ठे करने वालो के संग्रह में,
गरीब सोच का एक दलदल हूँ मैं ||
I dint knew tu itna sab "MEIN" hai :P
ReplyDeletejokes apart.. its really nice n inspiring..
lolz..!
ReplyDeleteवैसे भी एक नारी, सम्पूर्ण प्रकृति में है और सम्पूर्ण प्रकृति एक नारी में...ईश्वर जो अण कण में विद्यमान है, वह भी तो नारी के गर्भ से जन्मा है... अच्छी सोच...सच्ची सोच!!
ReplyDeletethanq uncle..! :)
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